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| باسمه تعالی
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| معاذ بن مسلم
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| == معرفی ==
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| معاذ بن مسلم بن ابی اساره<ref>نجاشی، رجال النجاشی، ۱۳۶۵ش، ص۳۲۴.</ref> یا معاذ الهراء النحوی،<ref>کشی، اختیار معرفة الرجال، مع تعلیقات میر داماد الأسترآبادی، ج۲، ص۵۲۲.</ref> از شاعران<ref>برقی، الرجال، ۱۳۴۲ش، ص۱۷.</ref> و عالمان [[علم نحو]]<ref>طوسی، رجال الطوسی، ۱۳۷۳ش، ص۳۰۶؛ ذهبی، العقد الثمین، ۱۴۲۵ق، ص۲۳۳؛ سبحانی، موسوعة طبقات الفقهاء، ۱۴۱۸ق، ج۲، ص۵۳۹.</ref> و از بزرگان و اصحاب خاص<ref> سبحانی، موسوعة طبقات الفقهاء، ۱۴۱۸ق، ج۲، ص۵۳۹.</ref> امام باقر(ع)<ref>طوسی، رجال الطوسی، ۱۳۷۳ش، ص۱۴۶.</ref> و امام صادق(ع).<ref>طوسی، رجال الطوسی، ۱۳۷۳ش، ص۳۰۶.</ref>
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| شیخ طوسی معاذ بن مسلم را با لقب هراء از اصحاب امام باقر ع و با لقب هراء انصاری نحوی کوفی از اصحاب امام صادق(ع) دانسته است.
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| أبو مسلم و أبو علي معاذ بن مسلم، و قيل كثير بن أبي سارة الهرّاء، و قيل الفرّاء، بيّاع الأكسية، و قيل صاحب الأكسية، و قيل بيّاع الكرابيس، الأنصاري بالولاء، و قيل مولى محمد بن سعد القرطي، الكوفي، و قيل معاذ بن كثير و معاذ بن مسلم شخصان متغايران.<ref> الفائق في رواة و أصحاب الإمام الصادق عليه السلام ؛ ج3 ؛ ص261</ref>
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| ابو علی<ref>نسمة السحر بذكر من تشيع و شعر ؛ ج3 ؛ ص196</ref>
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| از بزرگان شیعه<ref>نسمة السحر بذكر من تشيع و شعر ؛ ج3 ؛ ص196</ref>
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| یکی از پیشوایان علم ادبیات عرب<ref>نسمة السحر بذكر من تشيع و شعر ؛ ج3 ؛ ص196</ref>
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| ابو مسلم<ref>وفيات الأعيان و أنباء أبناء الزمان ؛ ج5 ؛ ص218؛ أعيان الشيعة ؛ ج10 ؛ ص130</ref> و بعد از تولدش فرزندش علی به ابا علی نیز شهرت پیدا کرد<ref>وفيات الأعيان و أنباء أبناء الزمان ؛ ج5 ؛ ص221؛ موسوعة طبقات الفقهاء ؛ ج2 ؛ ص538</ref>
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| معاذ بن مسلم هراءأ انصاری نحوی کوفی<ref>تنقيح المقال فى علم الرجال رحلي ؛ ج1 ؛ ص345</ref>
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| انصاری نحوی کوفی<ref>رجال الطوسي جامعه مدرسين ؛ ص306؛ اختيار معرفة الرجال المعروف برجال الكشى مع تعليقات مير داماد الأسترآبادى ؛ ج2 ؛ ص522؛ نقد الرجال ؛ ج4 ؛ ص384</ref>
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| انصاری کوفی شیعی نحوی ملقب به هراء<ref>بهجة الآمال في شرح زبدة المقال ؛ ج5 ؛ ص77</ref>
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| از بزرگان علم نحو<ref>العقد الثمين في تراجم النحويين ؛ ص233</ref>
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| ترکیب کرده: أبو مسلم معاذ بن مسلم بن أبي سارة الهراء الكوفي<ref> أعيان الشيعة ؛ ج10 ؛ ص130؛ موسوعة طبقات الفقهاء ؛ ج2 ؛ ص538</ref>
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| الصرفی<ref>روضات الجنات في أحوال العلماء و السادات ؛ ج7 ؛ ص263</ref>
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| برخی به این نکته اشاره کرده اند که او هرا است و به او فراء نیز می گویند<ref>تكملة أمل الآمل ؛ ج3 ؛ ص563</ref>
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| معاذ بن مسلم فراء نحوی<ref>عدة الرجال ؛ ج1 ؛ ص496</ref>
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| از عطا بن سائب و دیگران روایت نقل کرده است<ref>العقد الثمين في تراجم النحويين ؛ ص233</ref>
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| کنیه او ابو علی و ابومسلم<ref>إنباه الرواة على أنباه النحاة ؛ ج3 ؛ ص288</ref>
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| از خاندان آل ابی اساره<ref>رجال السيد بحر العلوم الفوائد الرجالية ؛ ج1 ؛ ص276</ref> از خاندان های شناخته شده شیعه در کوفه<ref>موسوعة طبقات الفقهاء ؛ ج2 ؛ ص539</ref>
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| شیوخ اصحاب امام صادق ع <ref>موسوعة طبقات الفقهاء ؛ ج2 ؛ ص539</ref>
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| ثقاته الفقهاء الصالحين<ref>موسوعة طبقات الفقهاء ؛ ج2 ؛ ص539</ref>
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| در بیش از سی مورد در سلسله روات احادیث آمده<ref>موسوعة طبقات الفقهاء ؛ ج2 ؛ ص539</ref>
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| از امام صادق ع و عمار بن موسی ساباطی و دیگران روایت نقل کرده<ref>موسوعة طبقات الفقهاء ؛ ج2 ؛ ص539</ref>
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| اکثر منابع به طول عمر او اشاره کرده اند<ref>موسوعة طبقات الفقهاء ؛ ج2 ؛ ص540</ref>
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| از اعیان نحات و استاد ابوالحسن کسایی<ref>موسوعة طبقات الفقهاء ؛ ج2 ؛ ص540</ref>
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| كان نحوياً، شاعراً، عارفاً بالقراءات و الفتيا و الاحكام، و كان يفتي الناس في المسجد<ref>موسوعة طبقات الفقهاء ؛ ج2 ؛ ص539</ref>
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| عبد اللّه بن المغيرة، و معاوية بن وهب، و عبد اللّه بن سنان، و أبو الفرج القمّي، و حمّاد بن أبي طلحة، و حذيفة بن منصور، و مرازم بن حكيم، و آخرون از او روایت نقل کرده اند
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| از کوفیان<ref>نقد الرجال، ج4، ص: 385</ref>
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| ادیب و شاعر<ref>الفائق في رواة و أصحاب الإمام الصادق عليه السلام ؛ ج3 ؛ ص261</ref>
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| نحوی، شاعر<ref>معجم المؤلفين ؛ ج12 ؛ ص301</ref>
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| ابو عبدالله<ref>راهنماى دانشوران در ضبط نامها، نسبها و نسبتها ؛ ج2 ؛ ص549</ref>
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| قدمای نحویان<ref>راهنماى دانشوران در ضبط نامها، نسبها و نسبتها ؛ ج2 ؛ ص396</ref>
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| او نویسنده کتاب های زیادی <ref>بهجة الآمال في شرح زبدة المقال ؛ ج5 ؛ ص77</ref> در علم نحو<ref>تنقيح المقال فى علم الرجال رحلي، ج3، ص: 222؛ أعيان الشيعة ؛ ج10 ؛ ص130</ref> و قرائت<ref>أعيان الشيعة ؛ ج10 ؛ ص130</ref> بوده که هیچ کدام از آنهاوجود ندارد<ref>تنقيح المقال فى علم الرجال رحلي، ج3، ص: 222</ref> گفته شده است که او حدود هزار کتاب در زمینه علم نحو نوشته بود.<ref> الفائق في رواة و أصحاب الإمام الصادق عليه السلام ؛ ج3 ؛ ص261</ref>
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| خویی و دیگران در کتاب معجم رجال حدیث به چهار معاذ بن مسلم با القاب مختلف به صورت جداگانه اشاره کرده و معتقد است ظاهرا همه آنها یکی هستند.<ref> معجم رجال الحديث و تفصيل طبقات الرواة ؛ ج19 ؛ ص206-209؛ زبده المقال من معجم الرجال ؛ ج2 ؛ ص447</ref>
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| یکی از راویان نص امامت امام کاظم<ref>ع</ref> از امام صادق<ref>الفائق في رواة و أصحاب الإمام الصادق عليه السلام ؛ ج3 ؛ ص261</ref>
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| اشخاصی چون حسن بن علی بن فضال، حسین بن معاذ و عبدالله بن سنان و دیگران از او روایت نقل کرده اند<ref>الفائق في رواة و أصحاب الإمام الصادق عليه السلام، ج3، ص: 262</ref>
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| از آن جهت که اواهل هرات در خراسان به او هراء گفته اند و فروش لباس<ref>اختيار معرفة الرجال، ج2، ص: 523 محقق</ref>
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| او یکی از دوستان کمیت بن زید اسدی<ref>معجم الشعراء ؛ ص345؛ إنباه الرواة على أنباه النحاة ؛ ج3 ؛ ص288</ref> مشهور<ref>وفيات الأعيان و أنباء أبناء الزمان ؛ ج5 ؛ ص219</ref> بود و یکی از سفارشات او به کمیت و رعایت نکردن او و به دردسر افتادن و زندانی شدنش در منابع بازتاب داشته است<ref>معجم الشعراء ؛ ص345؛ وفيات الأعيان و أنباء أبناء الزمان ؛ ج5 ؛ ص219؛ إنباه الرواة على أنباه النحاة ؛ ج3 ؛ ص289؛ الكنى و الألقاب مكتبة الصدر ؛ ج3 ؛ ص290</ref>
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| اشعار او در منابع بازتاب داشته است<ref>معجم الشعراء ؛ ص345؛ إنباه الرواة على أنباه النحاة ؛ ج3 ؛ ص289، 293</ref>
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| شعر در زمینه علم نحو<ref>وفيات الأعيان و أنباء أبناء الزمان ؛ ج5 ؛ ص218؛ إنباه الرواة على أنباه النحاة ؛ ج3 ؛ ص288</ref>
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| دلیل نامکذاری: تاجر لباس<ref>إنباه الرواة على أنباه النحاة ؛ ج3 ؛ ص290؛ نسمة السحر بذكر من تشيع و شعر، ج3، ص: 199</ref> فروش لباس
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| هروی<ref>إنباه الرواة على أنباه النحاة ؛ ج3 ؛ ص288</ref> در کوفه<ref>إنباه الرواة على أنباه النحاة ؛ ج3 ؛ ص290</ref>
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| او در زمان برامکه زندگی می کرد در ایام یزید بن عبدالملک به دنیا آمد و در سالی که برامکه قتل عام شدند از دنیاا رفت<ref>إنباه الرواة على أنباه النحاة ؛ ج3 ؛ ص289؛ موسوعة طبقات الفقهاء ؛ ج2 ؛ ص541</ref>
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| او نوشتن کتاب در زمینه علم نحو را از ایام حکومت بنی امیه آغاز کرد<ref>إنباه الرواة على أنباه النحاة ؛ ج3 ؛ ص290</ref>
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| در قرائت ها داستان های زیادی از او نقل شده است.<ref> إنباه الرواة على أنباه النحاة ؛ ج3 ؛ ص290</ref>
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| كان صالح العلم بالعربية؛ و لكنه ليس من أعلام النحويين، و هو أحد من أخذ عنه الفرّاء.<ref> إنباه الرواة على أنباه النحاة ؛ ج3 ؛ ص290</ref>
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| از او در مورد شاعرترین مردم سوال شد او گفت از جاهلان یا مسلمانان، جاهلان، امرؤ القيس، و عبيد و زهير
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| مسلمانان: الفرزدق، و جرير، و الأخطل، و الراعى
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| سوال از کمیت: او بهترین شاعران از اول تا آخر<ref>إنباه الرواة على أنباه النحاة، ج3، ص: 295</ref>
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| اخبار و اشعار زیاد<ref>إنباه الرواة على أنباه النحاة، ج3، ص: 295</ref>
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| او یکی از کارگزاران حکومت عباسی بود مهدی عباسی او را والی خراسان نمود<ref>قلادة النحر في وفيات أعيان الدهر ؛ ج2 ؛ ص212</ref>
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| اختراع علم صرف<ref>أعيان الشيعة ؛ ج1 ؛ ص124</ref> اما تالیفی در این زمینه نداشته است<ref>أعيان الشيعة، ج1، ص: 166</ref>
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| نحوی مشهور<ref>أعيان الشيعة ؛ ج10 ؛ ص130 به نقل از سیوطی</ref>
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| هرا فرا
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| معاذ بن مسلم فراء<ref>بهجة الآمال في شرح زبدة المقال ؛ ج7 ؛ ص30</ref>
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| به هردو اشاره کرده است<ref>مستطرفات المعالى، او، منتخب المقال و الاقوال فى علم الرجال ؛ ص324</ref>
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| دلیل انکه به او هراء می گویند این است که او البسه هروی می فروخت<ref>اختيار معرفة الرجال المعروف برجال الكشى مع تعليقات مير داماد الأسترآبادى ؛ ج2 ؛ ص522؛ تنقيح المقال فى علم الرجال رحلي ؛ ج1 ؛ ص345</ref>
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| هروی<ref>فائق المقال فى الحديث و الرجال ؛ ص162</ref>
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| برخی او را با لقب فراء خواندهاند<ref>الرجال ؛ الرجالالبرقي ؛ ص17؛ الوجيزه فى الرجال ؛ ص180</ref> و حتی گفته شده که او همان فراء معروف مشهور است<ref>منتهى المقال في أحوال الرجال، ج6، ص: 274؛ </ref> كانه الفراء النحوى المشهور
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| برخی گفته اند که او استاد فراء بوده است<ref>کشاف زمخشری</ref>
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| برخی معتقدند فراء اصل است و هراء سهو و اشتباه در نسخه<ref>منتهى المقال في أحوال الرجال، ج6، ص: 274</ref>
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| هراأ اشتباه سهوی و اشتباه در نسخه<ref>بهجة الآمال في شرح زبدة المقال، ج7، ص: 32</ref> و هراء مصحف فراء نیست<ref>تنقيح المقال فى علم الرجال رحلي، ج3، ص: 222</ref>
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| شوشتری: اختلاف نسخه هست شیخ ظوسی برقی اتفاق نظر دارند که هراء است<ref>قاموس الرجال، ج10، ص: 103</ref>
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| مامقانی: هردو به او اطلاق می شود و هردو صحیح است<ref>تنقيح المقال فى علم الرجال رحلي، ج3، ص: 222</ref> دلیل ان فروش لباس
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| ظن قوی معاذ بن مسلم فرا مذکور در رجال برقی تحریف نسخه ها شده است<ref>زبده المقال من معجم الرجال ؛ ج2 ؛ ص447</ref>
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| معاذ الفرا همان معاذ بیاع الاکیسه هست و با معاذ الهرا متفاوت است<ref>نسمة السحر بذكر من تشيع و شعر، ج3، ص: 200</ref>
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| فرزند و پسر عمو
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| فرزندش حسین بن معاذ نیز از اصحاب امام صادق ع <ref> منهج المقال فى تحقيق احوال الرجال ؛ ج4 ؛ ص286؛ نقد الرجال ؛ ج2 ؛ ص119؛ مستدرك الوسائل و مستنبط المسائل ؛ ج25 ؛ ص285</ref> امامی<ref>تنقيح المقال فى علم الرجال رحلي ؛ ج1 ؛ ص345؛ الفائق في رواة و أصحاب الإمام الصادق عليه السلام ؛ ج1 ؛ ص415</ref> و ثقه<ref>منتهى المقال في أحوال الرجال ؛ ج3 ؛ ص77</ref> دانسته شده است.
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| پسر عمویش محمد بن الحسن نیز از اصحاب امام باقر ع و امام صادق ع دانسته شده است<ref>رجال النجاشي ؛ ص324؛ منتهى المقال في أحوال الرجال ؛ ج6 ؛ ص8</ref>
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| نجاشی او و خاندانش را اهل فضل و ادب معرفی کرده.<ref> رجال النجاشي ؛ ص324</ref>
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| او اهل منطقه هرات در خراسان بود<ref>اختيار معرفة الرجال المعروف برجال الكشى مع تعليقات مير داماد الأسترآبادى ؛ ج2 ؛ ص522</ref> یک از شهرهای بزرگ خراسان<ref>نسمة السحر بذكر من تشيع و شعر، ج3، ص: 199</ref>
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| برخی علی رقم آنکه او را یکی از اجواد دانسته اند زندیق خوانده اند<ref>نسمة السحر بذكر من تشيع و شعر، ج3، ص: 199</ref>
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| استاد فرا و کسایی
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| استاد فراء<ref>زمخشری، الکشاف، ۱۴۰۷ق، ج۳، ص۳۴؛ بهجة الآمال في شرح زبدة المقال ؛ ج5 ؛ ص77.</ref> و کسائی<ref>ابن خلکان، وفیات الأعیان، بیروت، ج۵ ؛ ص۲۱۸؛ قفطی، إنباه الرواة، ۱۴۲۴ق، ج۳، ص۲۸۸؛ الفائق في رواة و أصحاب الإمام الصادق عليه السلام، ج3، ص: 262؛ إنباه الرواة على أنباه النحاة ؛ ج3 ؛ ص288.</ref>
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| برخی گمان کرده اند که او همان فرا مشهور است<ref>منتهى المقال في أحوال الرجال، ج6، ص: 276</ref> مامقانی اشتباه دانسته<ref>تنقيح المقال فى علم الرجال رحلي، ج3، ص: 222</ref>
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| الظاهر انه هو الفراء المشهور<ref>؟</ref>
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| کسایی از او روایت نقل کرده<ref>وفيات الأعيان و أنباء أبناء الزمان ؛ ج5 ؛ ص218؛ تنقيح المقال فى علم الرجال رحلي، ج3، ص: 222؛ العقد الثمين في تراجم النحويين ؛ ص233</ref>
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| مشهور: او شاگرد کسایی بود<ref>تنقيح المقال فى علم الرجال رحلي، ج3، ص: 222</ref>
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| کسایی شاگر معاذ و فراء شاگرد کسایی بود<ref>اختيار معرفة الرجال، ج2، ص: 523 محقق</ref>
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| حروف در قرائات از او نقل شده است<ref>العقد الثمين في تراجم النحويين ؛ ص233</ref>
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| علم نحو و صرف
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| معاذ علم عرب را به همراه تنی چند از کسایی گرفت<ref>تنقيح المقال فى علم الرجال رحلي ؛ ج3 ؛ ص221</ref> على معاذ و محمّد تفقّه الكسائى علم العرب
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| شیعه و از بزرگان علم نحو و اولین نفری که علم صرف را وضع کرد<ref>منتهى المقال في أحوال الرجال، ج6، ص: 275 به نقل از سیوطی. ابن خلکان دیده شود</ref>
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| اولین نفر که علم صرف<ref>بهجة الآمال في شرح زبدة المقال ؛ ج5 ؛ ص64</ref>
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| او را نویسنده کتابهای زیادی در زمینه علم نحو دانستهاند.<ref> اعرجی کاظمی، عدة الرجال، ۱۴۱۵ق، ج۲، ص۵۵.</ref>
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| مخترع علم صرف به گونهای که جماعتی از علمای علم ادب به آن اذعان کرده اند<ref>منتهى المقال في أحوال الرجال، ج6، ص: 274</ref>
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| وفات و عمر طولانی
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| عدهای معتقدند که او عمر طولانی داشته است.<ref>ابن خلکان، وفیات الأعیان، بیروت، ج۵، ص۲۱۸؛ ابن ندیم، الفهرست، بیروت، ص۹۷.</ref> برخی وفات او را در سال 187ق دانستهاند.<ref>ابن ندیم، الفهرست، بیروت، ص۹۶-۹۷؛ قفطی، إنباه الرواة، ۱۴۲۴ق، ج۳، ص۲۸۹؛ ذهبی، العقد الثمین، ۱۴۲۵ق، ص۲۳۴؛ سبحانی، موسوعة طبقات الفقهاء، ۱۴۱۸ق، ج۲، ص۵۴۱.</ref>
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| به گونه ای که مرگ همه اولاد خود را دید<ref>بهجة الآمال في شرح زبدة المقال ؛ ج5 ؛ ص77</ref> و حتی مرگ همه نوه های خود را هم دیده است<ref>وفيات الأعيان و أنباء أبناء الزمان ؛ ج5 ؛ ص218؛ إنباه الرواة على أنباه النحاة ؛ ج3 ؛ ص289</ref> در مورد این موضوع شعر گفته شده است<ref>إنباه الرواة على أنباه النحاة ؛ ج3 ؛ ص292؛ وفيات الأعيان و أنباء أبناء الزمان ؛ ج5 ؛ ص219</ref>
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| استاد عبدالمک بن مروان در علم نحو<ref>إنباه الرواة على أنباه النحاة ؛ ج3 ؛ ص292؛ أعيان الشيعة ؛ ج10 ؛ ص130</ref>
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| وفات سال 190<ref>إنباه الرواة على أنباه النحاة، ج3، ص: 295؛ الكنى و الألقاب مكتبة الصدر، ج3، ص: 291</ref>
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| برای طول عمر او شعر سردوه شده است<ref>بهجة الآمال في شرح زبدة المقال، ج5، ص: 78</ref>
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| او در زمان خودش به طول عمر شهرت داشت<ref>تنقيح المقال فى علم الرجال رحلي، ج3، ص: 222؛ وفيات الأعيان و أنباء أبناء الزمان ؛ ج5 ؛ ص218</ref>
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| نقل روایت در زمینه های فقهی چون نماز و حج و همچنین ثواب قرائت قرآن و برخی از فضائل اخلاقی<ref>جامع الرواة و إزاحة الإشتباهات عن الطرق و الأسناد، ج2، ص: 236؛ معجم رجال الحديث و تفصيل طبقات الرواة ؛ ج19 ؛ ص206</ref>
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| شخصی از معاذ زمان تولدش را پرسید که او گفت که در زمان یزید بن عبدالملک به دنیا امده است مرگ او در سال 187ق
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| شما چند سال دارید؟ گفت شصت و سه. فرمود: سپس سالها نزد او ماند، مردی از او پرسید: چند سال داری؟ گفت: شصت و سه. گفتم: بیست و یک سال است که با شما هستم. هر وقت کسی از شما در مورد سن شما می پرسد، می گویید: شصت و سه ساله. گفت: اگر بیست و یک سال دیگر با من بودم جز این نمی گفتم و برخی شاعران در شعری به او تهمت زده اند. که از طول عمر خود خسته شده است<ref>وفيات الأعيان و أنباء أبناء الزمان ؛ ج5 ؛ ص218؛ إنباه الرواة على أنباه النحاة ؛ ج3 ؛ ص290</ref>
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| ابن خلکان با بررسی زمان عمر او با استناد به سوال شخصی از معاذ در مورد سنش معتقد است که عمر او معمولی بوده است<ref>وفيات الأعيان و أنباء أبناء الزمان ؛ ج5 ؛ ص220-221</ref> و دیگران<ref>نسمة السحر بذكر من تشيع و شعر، ج3، ص: 197</ref>
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| شیعیا معمرا<ref>العقد الثمين في تراجم النحويين ؛ ص233</ref>
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| 90 سال عمر کرده<ref>العقد الثمين في تراجم النحويين، ص: 234</ref> 187ق وفات<ref>العقد الثمين في تراجم النحويين، ص: 234</ref> 95 سال<ref>أعيان الشيعة ؛ ج10 ؛ ص130</ref>
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| شعر کمی از او نقل شده<ref>العقد الثمين في تراجم النحويين، ص: 234</ref>
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| معاذ بن کثیر
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| یکی دانستن آن دو<ref>عدة الرجال، ج1، ص: 497 به نقل از شیخ صدوق</ref> يقال له معاذ بن مسلم
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| شوشتری یکی بودن آنها را رد کرده است و معتقد است که در رجال برقی و شیخ طوسی دو شخص محسوب شده اند یکی با القاب ابن کثیر بیاع الکرابیس و بیاع الاکسیه و دیگری با القاب هراء و نحوی<ref>قاموس الرجال، ج10، ص: 104</ref>
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| مذهب و وثاقت
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| از محدثان ثقه و فقهای ستایش شده امامیه و از بزرگان و اصحاب خاص اصحاب امام صادق ع<ref>الفائق في رواة و أصحاب الإمام الصادق عليه السلام ؛ ج3 ؛ ص261</ref>
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| شیعه و از بزرگان علم نحو و اولین نفری که علم صرف را وضع کرد<ref>منتهى المقال في أحوال الرجال، ج6، ص: 275 به نقل از سیوطی. ابن خلکان دیده شود</ref>
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| تحت تعلیم کسایی بوده و از او روایت نقل کرده است شیعه است<ref>منتهى المقال في أحوال الرجال، ج6، ص: 276 به نقل از ابن خلکان</ref>
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| سیوطی معتقد است که او شیعه و از راویان امام صادق ع است<ref>منتهى المقال في أحوال الرجال، ج6، ص: 275به نقل از طبقات النحاه سیوطی</ref>
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| برخی او را [[شیعه]]<ref>ابن خلکان، وفیات الأعیان، بیروت، ج۵، ص۲۱۸؛ ذهبی، العقد الثمین، ۱۴۲۵ق، ص۲۳۳؛ اعرجی کاظمی، عدة الرجال، ۱۴۱۵ق، ج۲، ص۵۵.</ref> و حتی از بزرگان شیعه در [[کوفه]]،<ref> سبحانی، موسوعة طبقات الفقهاء، ۱۴۱۸ق، ج۲، ص۵۳۹.</ref> جلیل القدر،<ref>بصری، فائق المقال، ۱۴۲۲ق، ص۱۶۲.</ref> و [[ثقه]]<ref>علامه حلی، رجال العلامة الحلی، ۱۴۰۲ق، ص۱۷۱؛ الرجال الحر العاملي ؛ ص242؛ مازندرانی حائری، منتهی المقال، ۱۴۱۶ق، ج۶، ص۲۷۲؛ بهجة الآمال في شرح زبدة المقال ؛ ج7 ؛ ص30.</ref> قلمداد کردهاند.
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| رجالیان شیعه در توثیق او به روایتی اسناد کرده اند در روایتی که بهصورت پرتکرار در منابع آمده، تسلط او بر مبانی فقهی و عقیدتی مذاهب مختلف اسلامی را نشان داده و امام صادق<ref>ع</ref> نیز روش و سیره او را مورد تأیید قرار داده است.<ref>برای نمونه نگاه کنید به: کشی، إختیار معرفة الرجال، ۱۴۰۴ق، ص۲۵۳-254؛ علامه حلی، رجال العلامة الحلی، ۱۴۰۲ق، ص۱۷۱؛ قهپایی، مجمع الرجال، ۱۳۶۴ش، ج۶، ص۹۷؛ مازندرانی حائری، منتهی المقال، ۱۴۱۶ق، ج۶، ص۲۷۲.</ref> مامقانی این روایت را دلالت بر وثاقت<ref>تنقيح المقال فى علم الرجال رحلي ؛ ج1 ؛ ص345</ref> گفته می شود که امام صادق ع او را ثقه معرفی کرده و اجازه اجتهاد و فتوا به او داده است<ref>الثقات الأخيار من رواة الأخبار ؛ ص372</ref> رحمك اللّه هكذا فاصنع <ref>الكنى و الألقاب مكتبة الصدر ؛ ج3 ؛ ص289</ref>
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| نجاشی معتقد است که همه انها از ثقات بوده و طعنی برا انها نیامده است<ref>رجال النجاشي ؛ ص324</ref>
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| روایات او در کافی و تهذیبین آمده است<ref>زبده المقال من معجم الرجال ؛ ج2 ؛ ص447</ref>
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| تصریخ نجاشی به وثاقت
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| برخی او را به خاطر توثیق نجاشی و علامه سزاوار توثیق دانستهاند.<ref>نقد الرجال، ج4، ص: 385؛ بهجة الآمال في شرح زبدة المقال، ج7، ص: 31</ref>
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| اشاره کشی<ref>و في كش ما يدلّ على جلالة قدره. فائق المقال فى الحديث و الرجال ؛ ص162</ref> و نجاشی<ref>عدة الرجال، ج1، ص: 497</ref> را دلالت بر جلالت قدر
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| ممدوح<ref>الرجال ؛ الرجالالحلىق1 ؛ ص347</ref>
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| تعداد زیادی او را ثقه دانسته اند<ref>مستطرفات المعالى، او، منتخب المقال و الاقوال فى علم الرجال ؛ ص324</ref>
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| او را در کنار کمیت شیعه دانسته اند<ref>معجم الشعراء ؛ ص345</ref>
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| == پانویس==
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| {{پانویس۲}}
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| ==منابع==
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