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| == نبوت ==
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| حضرت موسی(ع) در چهل سالگی به پیامبری مبعوث شد.<ref>تفسير القرآن الكريم (شبر)، ص: 308</ref> او از پیامبران اولوالعزم بود.<ref>شبستری، اعلام القرآن، ۱۳۸۷ش، ص۹۳۷</ref> در طور سیناء<ref>سوره نمل، آیه۷.</ref> و از میان درختی به او وحی نازل شد: ای موسی! منم خداوند، پروردگار جهانیان.<ref>سوره قصص، آیه۳۰.</ref> موسی(ع) در آنجا به پیامبری برگزیده شد.<ref>سوره طه، آیه۱۳.</ref> خداوند پس از اعلام رسالت به موسی(ع) خدواند در ابتدا چند دستور به موسی میدهد:
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| * لما بشره الله سبحانه بالنبوة أمره باستماع الوحي ثم ابتدأ بالتوحيد فقال «إِنَّنِي أَنَا اللَّهُ لا إِلهَ إِلَّا أَنَا» <ref>مجمع البيان في تفسير القرآن، ج7، ص: ۱۰.</ref>
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| * موضوع عبادت خداوند يگانه<ref>سوره طه، آیه۱۴.</ref> به عنوان يك ثمره براى درخت ايمان و توحيد بيان شده،
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| * به دنبال آن دستور به نماز<ref>سوره طه، آیه۱۴.</ref>
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| * سپس به مسئله معاد پرداخته است.<ref>سوره طه، آیه۱۵.</ref>
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| و قوله: «وَ أَنَا اخْتَرْتُكَ» على ما يعطيه السياق من قبيل إصدار الأمر بنبوته و رسالته فهو إنشاء لا إخبار، و لو كان إخبارا لقيل: و قد اخترتك لكنه إنشاء الاختيار للنبوة و الرسالة بنفس هذه الكلم<ref>الميزان في تفسير القرآن، ج14، ص: ۱۳۹</ref>
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